स्वास्थ्य विभाग एवं यूनिसेफ के संयुक्त तत्वाधान में कार्यशाला का आयोजन किया गया

हिन्द न्यूज, बिहार

आज दिनांक-13.02.2023 को होटल आर्यावर्त, गया में आई॰सी॰डी॰एस॰, स्वास्थ्य विभाग एवं यूनिसेफ के संयुक्त तत्वाधान में कार्यशाला का आयोजन किया गया, उक्त कार्यशाला का उद्धाटन जिला पदाधिकारी गया डॉक्टर त्यागराजन एसएम द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। कार्यशाला का मुख्य उद्वेष्य स्वास्थय एवं आई सी॰डी॰एस॰ में बेहतर समन्वय स्थापित करते हुए सभी सेवाओं का बेहतर लाभ, लाभुकों तक पहुॅचाना था। कार्यशाला में जिला पदाधिकारी द्वारा प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए बताया गया कि अपने स्तर से सभी सेवाओं का लाभ, लाभार्थियेां को देना सुनिष्चित करें। विशेष रूप से टी॰एच॰आर॰, जननी बाल सुरक्षा योजना, मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना इत्यादि का लाभ ससमय और सही प्रकार से सभी योग्य लाभार्थी को देना सुनिष्चित करें ।
महिलाओं में एनिमिया को दूर करने एवं बच्चों में पाई जाने वाली विकलांगता जिसका ससमय इलाज से सुधार संभव है, उसपर फोकस कर कार्य करने हेतु निदेषित किया गया। साथ ही गर्भवती महिलाओं हेतु विभिन्न कैम्प लगाकर जागरूकता उत्पन्न करने हेतु निदेषित किया गया ताकि जानकारी के अभाव में विभिन्न कारणो से होने वाली जन्मजात विकृतियों से नवजात शिशुओं को बचाया जा सके।


जिला पदाधिकारी ने श्रवण श्रुति तथा वंडर एैप के तहत् आई॰सी॰डी॰एस॰ तथा स्वास्थय विभाग द्वारा किये गये कार्यो पर संतोष व्यक्त किया गया एवं उसमें और तेजी लाने का निर्देष दिया। उन्होंने कहा कि अब तक के 33 हजार बच्चों को श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट के तहत स्क्रीनिंग किया गया है। उन्होंने कहा कि मई महीने तक जिले में 01 लाख बच्चों को स्क्रीनिंग करने का लक्ष्य निर्धारित रखा गया है। जिला पदाधिकारी द्वारा श्रवण श्रुति की तरह से ही अन्य दिव्यांगता तथा जटिल बीमारियों हेतु विषेष कार्य करने पर बल देते हुए यह आह्वान किया गया कि स्वास्थय एवं आई॰सी॰डी॰एस मिलकर बहुत सारे कार्यो को और बेहतर तरीके से कर सकता है एवं गया जिले को एक उदाहरण स्वरूप स्थापित कर सकता हैं । उन्होंने कहा कि आईसीडीएस तथा स्वास्थ्य विभाग आपस में पूरी तरह से समन्वय करते हुए जिले के सभी प्रखंडों में व्यापक पैमाने पर 5 साल से कम उम्र वाले बच्चों को स्क्रीनिंग कराने में पूरी प्रभावी रूप से कार्य करें। उन्होंने यह भी कहा कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार बताया गया है कि हर 1000 बच्चों में से 5 से 8 बच्चे में लो हियरिंग पाई जाती है। श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट में गया जिला को मॉडल बनाते हुए राज्य के 10 जिलों को शामिल किया गया है जहां उनके बच्चों को भी यह उपचार दिया जा रहा है।

इसी प्रकार उन्होंने वंडर प्रोजेक्ट के तहत किए जा रहे कार्यों के बारे में कहा कि गर्भवती महिलाओं को टी एच आर वितरण नियमित तौर पर किया जाए। बच्चा जन्म होने से पहले सभी प्रकार की जांच कराने हेतु एक एसओपी बनाया जाए तथा हर आंगनवाड़ी सेंटर पर जांच की व्यवस्था रखी जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिया है कि बाल विकास परियोजना पदाधिकारी तथा संबंधित सुपरवाइजर भी यह नियमित तौर पर जांच करते रहे कि उनके क्षेत्र में टी एच आर वितरण नियमित तौर पर हो रहा है या नहीं। उन्होंने कहा कि प्रायः यह देखा गया है कि गर्भवती महिलाओं में लगभग 40 से 50% वैसी महिलाएं पाई जाती हैं जो एनीमिया से ग्रसित रहती हैं। इन्हीं सभी छोटी-छोटी बीमारियों को देखते हुए वंडर ऐप कार्यक्रम शुरू की गई है ताकि उनकी सभी प्रकार की जांच समय अवधि में हो और उन्हें डिलीवरी के दौरान कोई समस्या ना हो सके। वंडर प्रोजेक्ट से यह सुनिश्चित कराया जाएगा कि जच्चा और बच्चा दोनों को स्वस्थ रखा जाए।

जिला पदाधिकारी ने तमाम पदाधिकारियों को कहा कि श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट तथा वंडर प्रोजेक्ट में पूरी मेहनत लगन तथा ईमानदारी से कार्य करें ताकि भविष्य में आपको गर्व होगा कि आपके इस मेहनत से कितने बच्चे को सफलतापूर्वक जीवन दिया है। कार्यशाला को यूनिसेफ के राज्य स्तर से आये हुए प्रतिनिधियों ने भी सम्बोधित किया यूनिसेफ से आए राधवेन्द्र कुमार एवं डाॅ षिवानी धर ने बताया कि कम्युनिटी में पोषक तत्व की कमी होने के बच्चों में पूर्ण रूप से विकास नहीं हो पाता है अतः बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए जरूरी है कि उनके खान-पान एवं पोषण देखभाल का विषेष घ्यान रखा जाय।

इस अवसर पर सिविल सर्जन, गया द्वारा बताया कि महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण देखभाल के लिए स्वास्थय विभाग द्वारा कई योजनाए चलाई जा रही है। डाॅ एम ई हक द्वारा एम॰सी॰पी कार्ड (मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड) के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई गई । कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए जिला प्रोग्राम पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि वर्तमान में आई॰सी॰डी॰एस॰ के तहत् 80 प्रतिषत बच्चों का ग्रोथ माॅनिटरिग पोषण ट्रैकर के माध्यम से कर लिया गया है। साथ ही अन्य गतिविधियों का आयोजन कर लगातार कुपोषण को दूर करने के लिए विभागीय दिषा निदेष का पालन सुनिष्चित किया जा रहा है। कार्यषाला का संचालन यूनिसेफ की सुश्री ईषा द्वारा किया गया इस कार्यषाला में विभिन्न प्रखंडों के बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, जिला समन्वयक, प्रखंड समन्वयक ,ब्लाॅक हेल्थ मेनेजर एवं डेभलपमेंन्ट पार्टनर शामिल हुए ।

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